संसद में भाषण: एक विश्लेषण
संसद में विभिन्न भाषाओं में भाषण हो रहे हैं। कोई अपनी मातृभाषा में बोल रहा है, कोई हिंदी में, कोई मराठी में और कोई संस्कृत में। लेकिन असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दिया गया भाषण विशेष ध्यान आकर्षित कर रहा है। उन्होंने ‘जय भीम’ के बाद ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाया, जिससे संसद और समाज में नई चर्चा शुरू हो गई है।
असदुद्दीन ओवैसी का भाषण
असदुद्दीन ओवैसी ने शपथ लेते हुए कहा, “जय भीम, जय मीम, जय तेलंगाना, जय फिलिस्तीन, तकबीर, अल्लाहु अकबर।” इस नारे के बाद से संसद में हलचल मच गई और विभिन्न राजनीतिक दलों में बहस शुरू हो गई।
फिलिस्तीन का समर्थन
ओवैसी का यह नारा संभवतः फिलिस्तीनियों के प्रति सहानुभूति और समर्थन व्यक्त करने का एक प्रयास था। उन्होंने फिलिस्तीन के संघर्ष और गाजा पट्टी में हुए अत्याचारों को लेकर चिंता व्यक्त की। यह नारा संसद में दर्ज नहीं किया गया, जिसके बाद राजनीतिक बहस और तेज हो गई। बीजेपी नेता जी किशन रेड्डी ने इस नारे का विरोध करते हुए इसे रिकॉर्ड से हटाने की मांग की और कहा कि यह संविधान के खिलाफ है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
रेड्डी ने कहा, “संसद में शपथ लेते समय ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाना पूरी तरह से गलत है। ऐसे नारे संविधान के खिलाफ हैं और इनसे इनका असली चेहरा उजागर होता है।” दूसरी ओर, ओवैसी ने अपने बचाव में कहा कि उन्होंने संविधान का पालन करते हुए ही यह नारा लगाया और इस पर विरोध करना अनुचित है। उन्होंने कहा, “मैं भारत के सभी लोगों के मुद्दे उठाता रहूंगा और फिलिस्तीन के नारे का विरोध करने वालों को संविधान में नियम दिखाने चाहिए।”
सोशल मीडिया प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस घटना के बाद तीव्र प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। कुछ लोगों ने ओवैसी के इस नारे का समर्थन किया, जबकि कुछ ने इसका विरोध किया। अंकित सिंह ने ट्वीट किया कि ओवैसी को फिलिस्तीन भेज देना चाहिए, जबकि मुहम्मद मुकरिम फारुकी ने कहा कि ओवैसी केवल ट्रोल करने आते हैं और फिर वापस चले जाते हैं। कुछ लोगों ने कहा कि संसद में इज़राइल का समर्थन करने वाले भी हो सकते हैं, जबकि अन्य ने कहा कि ओवैसी ने फिलिस्तीन के समर्थन में नारा लगाकर संविधान का अपमान किया है।
शपथ ग्रहण समारोह
संसद के पहले दिन, 24 जून को प्रधानमंत्री मोदी के साथ कुल 262 सांसदों ने शपथ ली, जबकि आज अंतिम सांसदों की शपथ ली जा रही है। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष पद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच भी घमासान जारी है। 26 जून को लोकसभा की शुरुआत के साथ ही प्रोटेम स्पीकर अगले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए भाषण देंगे। ओम बिरला एनडीए के उम्मीदवार हैं जबकि सुरेश इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार हैं। इन दोनों के बीच कड़ी टक्कर की संभावना है।
निष्कर्ष
असदुद्दीन ओवैसी का ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा और इसके बाद की प्रतिक्रियाएँ यह दर्शाती हैं कि भारतीय राजनीति में अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे भी कितने संवेदनशील हो सकते हैं। यह घटना यह भी दर्शाती है कि संसद में उठाए जाने वाले मुद्दों पर सभी दलों की अपनी-अपनी धारणाएँ और प्रतिक्रियाएँ होती हैं। सोशल मीडिया पर भी इस नारे को लेकर लोगों की मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं, जिसमें कुछ ने समर्थन किया तो कुछ ने विरोध जताया।